
मलबे का मालिक (कहानी) : मोहन राकेश
बहुत दिनों के बाद बाज़ारों में तुर्रेदार पगड़ियाँ और लाल तुर्की टोपियाँ दिखाई दे रही थीं। लाहौर से आए हुए मुसलमानों में काफ़ी …
मलबे का मालिक कहानी की समीक्षा और सारांश
हिंदी के प्रख्यात लेखकों में एक हैं, नाटककार और कथाकार मोहन राकेश। उनका ‘आधे-अधूरे’ नाम से लिखा गया नाटक भारत के नाट्य-क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बेहद लोकप्रिय हुआ। ‘मलबे का मालिक’ कहानी भी उनकी लिखी गयी एक ऐसी ही लोकप्रिय कहानी है। यह कहानी 1956 ई.
मलबे का मालिक: मोहन राकेश की कहानी
2020年12月10日 · बाज़ार बांसा अमृतसर का एक उपेक्षित-सा बाज़ार है, जो विभाजन से पहले ग़रीब मुसलमानों की बस्ती थी. वहां ज़्यादातर बांस और शहतीरों की ही दुकानें थीं, जो सबकी सब एक ही आग में जल गई थीं. बाज़ार बांसा की आग अमृतसर की सबसे भयानक आग थी, जिससे कुछ देर के लिए तो सारे शहर के जल जाने का अन्देशा पैदा हो गया था.
मलबे का मालिक कहानी की समीक्षा | मोहन राकेश
म लबे का मालिक मोहन राकेश द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध हिंदी कहानी है। यह कहानी भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान हुए दंगों और उनके विनाशकारी प्रभावों पर आधारित है।. यह कहानी विभाजन के दर्द और पीड़ा को बखूबी दर्शाती है। यह दिखाती है कि कैसे विभाजन ने लोगों को न केवल उनके घरों और परिवारों से, बल्कि उनकी पहचान और गरिमा से भी वंचित कर दिया।.
मोहन राकेश की कहानी : मलबे का मालिक
गनी मलबे को देख अत्यंत दुःखी होता है, अपने परिवारी जनों की हत्या को तो वह परिस्थितिजन्य दुर्घटना समझकर समझौता कर लेता है लेकिन अपने नवनिर्मित घर जो कि विभाजन के छः महीने पूर्व बनवाया था के सुरक्षा को लेकर आश्वस्त था। उसे लगा उसका परिवार तो नहीं रहा, अपने घर को ही देख कर उसे शांति मिल जाएगी, मगर मलबे के ढेर को देखकर गनी अंदर से टूट गया और रोने लग...
मलबे का मालिक - मोहन राकेश - साहित्य विमर्श
2017年9月12日 · नई कहानी आन्दोलन के दौरान साम्प्रदायिकता और विभाजन को आधार बनाकर अनेक कहानियाँ लिखी गयीं. अमृतसर आ गया (भीष्म साहनी),सिक्का बदल गया (कृष्णा सोबती),शरणदाता (अज्ञेय) जैसी कहानियों ने सांप्रदायिक हादसों और विभाजन की त्रासदी का यथार्थ और मार्मिक चित्रण किया है. मोहन राकेश की मलबे का मालिक और परमात्मा का कुत्ता …
'मलबे का मालिक' कहानी की तात्विक समीक्षा
2021年5月26日 · ‘मलबे का मालिक’ कहानी का कथानक ( ‘Malbe Ka Malik’ Kahani Ka Kathanak ) भारत-विभाजन और साम्प्रदायिकता के कारण हुई विनाशलीला पर आधारित है | कहानी में वृद्ध मुसलमान गनी मियां की आत्मापीड़ा की अभिव्यक्ति हुई है | जब भारत स्वतंत्र हुआ तब अब्दुलगनी का परिवार अमृतसर के बांसा बाजार में रहता था | वह देश के विभाजन से कुछ माह पूर्व लाहौर चला …
मलबे का मालिक मोहन राकेश
-- वह आपका मकान था। -मनोरी ने दूर से एक मलबे की ओर संकेत किया। गनी पल-भर के लिए ठिठकर फटी-फटी आंखों से उसकी ओर देखता रह गया। चिराग और उसके बीवी -बच्चों की मौत को वह काफी अर्सा पहले स्वीकार कर चुका था, मगर अपने नये मकान को इस रूप में देखकर उसे जो झुरझुरी हुई, उसके लिए वह तैयार नहीं था। उसकी जबान पहले से ज्यादा खुश्क हो गयी और घुटने भी और ज्यादा क...
मलबे का मालिक - Hindi Literature - Notes - Teachmint
2022年1月27日 · 'मलबे का मलिक -मोहन राकेश, , रचना सार- 'मलबे का मालिक' यह कहानी देश-विभाजन की त्रासदी के साथ-साथ विभाजन के साढ़े, सात वर्षो …
'मलबे का मालिक' Malbe Ka Malik The Best Explanation
को जालंधर में हुआ। पंजाब में ही उनकी संपूर्ण शिक्षा हुई। इनके पिता वकील होते हुए भी बहुत साहित्यानुरागी थे। इसलिए राकेश जी को बचपन से ही घर में पर्याप्त साहित्यिक वातावरण प्राप्त हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में एम. ए. तक की शिक्षा प्राप्त की और अध्यापक के रूप में अपना जीवन प्रारंभ किया। वे प्रारंभ में डी. ए. वी. कॉलेज, जालंधर में हिंदी विभ...